बाप न्यूज : फलौदी | विद्युत के क्षेत्र में उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण में भिन्न-भिन्न प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर किये जा रहे अंधाधुं...
फलोदी डिस्कॉम के कर्मचारी नेता करन सिंह राजपुरोहित ने बताया कि
विद्युत क्षेत्र का निर्माण व संचालन राज्य सरकार द्वारा निगम के माध्यम से उद्योग
धंधों के विकास, कृषि के उपयोग व घरेलु उपभोक्ताओं के दैनिक दिन उपभोग के लिए किया
जाता है। राज्य सरकार द्वारा इस विद्युत क्षेत्र का संचालन बिना लाभ-हानि के सिद्धांत
पर अपनी राज्य की जनता के प्रति लोक कल्याणकारी सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वहन
के लिए किया जाता है। परन्तु वर्तमान सरकार अपनी लोक कल्याणकारी भूमिका को छोडकर विद्युत
क्षेत्र को लाभ-हानि के आधार पर संचालन की मंशा से आगे बढ़ रही है। उसी के कारण विद्युत
प्रशासन द्वारा विद्युत के वितरण, प्रसारण व उत्पादन में वर्तमान से द्रुतगति से भिन्न-भिन्न
प्रक्रियाओं एवं मॉडल के नाम पर निजिकरण किया जा रहा है। वितरण के क्षेत्र में तीनों
डिस्कॉम में वर्तमान में अधिकतर कार्य आडेंटसोर्स, एफआरटी, ठेके व सीएलआरसी इत्यादि
नामों से निजी भागीदारी द्वारा करवाये जा रहे हैं। अब HAM मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड
के फीडर सेग्ग्रिगेशन व सोलराईजेशन के नाम पर आउटसॉर्स कर निजी हाथों में दिया जा रहा
है, जो कि ग्रिड सैफ्टी कोड का सीधा-सीधा उल्लंघन है।
इसके कारण HAM मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड निजी हाथों में देने
से राज्य व देश की सामरिक सुरक्षा को किसानों, जनता के आन्दोलनों, प्रदर्शनों एवं युद्ध
के समय में खतरा उत्पन्न हो सकता है। प्रसारण निगम जो कि वर्षों से लाभ देने वाला संस्थान
है, उसके बावजूद इसके ग्रिडों का संचालन कलस्टर के माध्यम से ठेके पर देकर करवाया जा
रहा है। इस मॉडल के माध्यम से निजी भागीदारों को बांटकर प्रसारण को भी हानि का निगम
बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राजस्थान सरकार इसमें अपने हिस्सा एवं आधिपत्य को
बेवजह छोडकर प्रदेश की जनता व कर्मचारियों के हितों के साथ विश्वासघात कर रही है। पांचों
विद्युत निगमों में कार्यरत कर्मचारियों को लगभग एक वर्ष पूर्व ओ.पी.एस. योजना का फार्म
भरवाकर सदस्य बना दिया गया है, परन्तु अभी तक ओ.पी.एस. योजना राज्य सरकार के आदेश में
स्पष्ट उल्लेख है कि 'पुरानी पेंशन योजना संस्था में लागू होने के बाद नियोक्ता अंशदान
के रुप में कोई कटौती सीपीएफ योजना के अन्तर्गत नहीं की जायेगी की अनुपालना में आज
दिनांक तक सीपीएफ कटौती बन्द कर जी.पी.एफ कटौती शुरु नहीं की गई। राजपुरोहित ने बताया
कि पांचो उक्त ज्ञापन के माध्यम से राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति में शामिल
संगठन जो विद्युत के निगमों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व
करते है, एक स्वर में 25 नवंबर को कार्य बहिष्कार करते हुए ज्ञापन के माध्यम से मांग
करेंगे कि वितरण, प्रसारण एवं उत्पादन निगमों में उपरोक्त वर्णित विभिन्न प्रक्रियाओं
व मॉडल के नाम से किये जा रहें निजीकरण पर रोक लगाई जावे। कर्मचारियों को ओ.पी.एस योजना
का पूर्ण लाभ देने के लिए सी.पी.एफ कटौती बन्द कर जी.पी.एफ कटौती शुरु की जावे। विद्युत
प्रशासन व राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी व अधिकारियों के इस लोकतांत्रिक माध्यम से विभाग
बचाने को लेकर दिये गये ज्ञापन पर संज्ञान नहीं लिया जाता है तो 29 नवंबर को जिला स्तर
पर जिला कलेक्टर व अधीक्षण अभियंताओं के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएगा। भविष्य में
देश, उद्योग व श्रमिक हित में लोकतांत्रिक श्रमिक आंदोलन जारी रहेगा।