बाप न्यूज | अनुसूचित जाति/जन जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 यथा संशोधित अधिनियम 2015 के नियम 16 के तहत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ह...
बाप न्यूज | अनुसूचित जाति/जन
जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 यथा संशोधित अधिनियम 2015 के नियम 16 के तहत मुख्यमंत्री
की अध्यक्षता में होने वाली बैठक को बुलाने एवं सदस्यों को सूचना कराने की मांग को
लेकर शुक्रवार को यंहा समता सैनिक दल द्वारा उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम का
सौंपा गया।ज्ञापन में लिखा
कि 13 जून 2019 को सामजिक न्याय अधिकारिता विभाग द्वारा अपने पत्र क्रमांक एफ 11
(39) (0) अत्याचार निवारण/ सान्याअधि/19/ 34846 के द्वारा अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार
निवारण अधिनियम 1989 यथा संशोधित अधिनियम 2015 के नियम 16 के तहत मुख्यमंत्री की अध्यक्षता
में उच्च शक्ति प्राप्त राज्य स्तरीय सतकर्ता और मानिटरिंग (समिति) कमेटी का गठन किया
गया है।
यह कमेटी प्रदेश में दलितों पर बढते उत्पीड़न को रोकने, पीड़ितों को न्याय एवं पुर्नवास में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। लेकिन पिछले कई वर्षों से इस कमेटी को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है। समय पर बैठकें आयोजित नही की जा रही है, जो कानून के प्रावधानों के विपरित है। अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 यथा संशोधित 2015 के नियम 16 मे ही कमेटी गठन व बैठकें आयोजित करने का प्रावधान कर कैलेण्डर तय किया गया है। जिसके अनुसार 1 वर्ष में (2 बैठके) प्रथम जनवरी व द्वितीय जून में आयोजित की जाना होना निर्धारित किया गया था। ज्ञापन सौंपते समय समता सैनिक दल बाप तहसील अध्यक्ष गणपत भाट, पुरखाराम पुनड़, ज्ञानाराम पंवार, प्रहलादराम मेघवाल, रमेश गर्ग आदि मौजूद रहे।
यह कमेटी प्रदेश में दलितों पर बढते उत्पीड़न को रोकने, पीड़ितों को न्याय एवं पुर्नवास में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। लेकिन पिछले कई वर्षों से इस कमेटी को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है। समय पर बैठकें आयोजित नही की जा रही है, जो कानून के प्रावधानों के विपरित है। अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 यथा संशोधित 2015 के नियम 16 मे ही कमेटी गठन व बैठकें आयोजित करने का प्रावधान कर कैलेण्डर तय किया गया है। जिसके अनुसार 1 वर्ष में (2 बैठके) प्रथम जनवरी व द्वितीय जून में आयोजित की जाना होना निर्धारित किया गया था। ज्ञापन सौंपते समय समता सैनिक दल बाप तहसील अध्यक्ष गणपत भाट, पुरखाराम पुनड़, ज्ञानाराम पंवार, प्रहलादराम मेघवाल, रमेश गर्ग आदि मौजूद रहे।