बाप में हुई राजपूत समाज की बैठक उठाई कार्यवाही निरस्त करने की मांग सर्व समाज के सहयोग से 23 को फलोदी एडीएम कार्यालय के बाहर बेमियादी शुरू कर...
उठाई कार्यवाही निरस्त करने की मांग
सर्व समाज के सहयोग से 23 को फलोदी एडीएम कार्यालय के बाहर बेमियादी शुरू करेंगे धरना
बाप न्यूज़ | बडीसिड्ड खेजड़ी आंदोलन को समाप्त करने के लिए बनी सहमति में एक जाति विशेष के अधिकारियों पर की गई एक तरफा कार्यवाही से राजपूत समाज सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने पूरजोर विरोध किया है। जिससे एक और बड़े आंदोलन की सुगबुगाहट लगने लगी है। रविवार को बाप में हुई राजपूत समाज की बैठक में जाति विशेष के अधिकारियों पर की गई एक तरफा कार्यवाही को निरस्त करने की मांग करते हुए 23 जून से बड़े बेमियादी आंदोलन की चेतावनी दी है। इसको लेकर सोमवार को यहंा मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा गया।
बाप में स्थित स्व. महेंद्रसिंह भाटी मेमोरियल संस्थान में सोमवार को राजपूत समाज की आपात बैठक आयेाजित हुई। आपात बैठक में राजपूत अधिकारियों पर की गई कार्यवाही के खिलाफ निदा प्रस्ताव पारित किया गया। समाज के वक्ताओं ने कहा कि उक्त प्रकरण को लेकर बाहरी लोगो द्वारा राजपत समाज के अधिकारियों पर जिस प्रकार की टिप्पणियां की गई वही निंदनीय है। आजादी के 70 साल बाद भी लोग संविधान व कानून पर विश्वास नहीं कर रहे है, यह चिंता का विषय है जिस तरह से बाहरी लोग आकर बाप क्षेत्र का माहौल खराब कर रहे है, उससे बाप उपखण्ड क्षेत्र की जनता में आकोश है।
अधिवक्ता मगसिंह भाटी ने कहा कि घटना दो गुटो में कम्पनियो में ठेको को लेकर है, जो कि प्रशासन सहित सब को पता है। इस के पीछे जिन लोगो का हाथ है, उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई । बाहरी लोग जो अधिकतर किसी ना किसी रूप में सोलर कम्पनियों में ठेकेदारी का काम करते आ रहे है, उनके द्वारा प्रशासन पर दवाब बनाया गया। यह लोग जातीय द्वेषभावना के कारण राजपूत अधिकारीयों पर कार्यवाही के लिए प्रशासन पर दवाब बना कर कार्यवाही चाहतें है। जो कि उचित नही है। उक्त घटना में इन अधिकारीयों का नाम बिना किसी वजह से लिया जा रहा है। पहाड़सिंह रावरा ने कहा कि वन्यजीव व पर्यावरण प्रेमियों की वन संरक्षण के लिए अगर राज्य सरकार में निहित कानून के तहत कार्यवाही होती है तो उसका राजपुत समाज विरोधी नही है। राजपुत समाज पर्यावरण व वन्यजीवों का संरक्षक रहा है। उन्होने कहा कि क्षेत्रिय जाति से बडा प्रकृति का संरक्षक पुरे विश्व में आज तक कोई नही हुआ। वो हमारे ही पूर्वज थे। जिन्होने गायों व धरती के लिए अपने सिर कटावाये, वो भी हमारे ही पूर्वज थे। जिन्होने इस लोकतंत्र को लाने के लिए अपनी पूरी की पूरी रियासतें ही दान कर दी। वो हमारे ही पूर्वज थे। जिन्होने समरी सेंटलमेंट व मिसल बंदोबस्ती के समय अपनी खातेदारी भूमि में से प्रत्येक गांव में हजारो बीघा जमीन ओरण, गौचर व जोड पायतन के रूप के में दान कर दी, जिनका मुख्य उदेश्य पशु पक्षियों का संरक्षण करना ही था। अधिवक्ता प्रवीणसिंह रणीसर ने राजा दिलीप का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हाेने एक भूखे शेर को गाय के मांस के बराबर अपना मांस निकाल कर दिया था। राजा शिवि जिन्होने एक कबूतर को बचाने के लिए कबूतर के मांस के बराबर अपना मांस काट कर दिया था। संत जाम्भोजी जिनके पूर्वज लोहटजी पंवार भी एक राजुपत ही थे। बैठक में स्पष्ट कहा गया कि अगर राज्य सरकार व प्रशासन बाहरी लोगो के दवाब में आकर प्रशासनिक अधिकारी व किसी भी राज्य कर्मचारी के खिलाफ अन्यायोचित कार्यवाही करता हैं तो राजुपत समाज अन्यायोचित कार्यवाही के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगा।
बैठक के बाद तहसील कार्यालय में सरकार व प्रशासन के विरूद्ध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान प्रवीणसिंह रणीसर, मगसिंह भाटी सिड्डा, पहाड़सिंह रावरा, किशनसिंह खेतूसर, मनोहरसिंह खेतसूर, दिलेरसिंह धोलिया, रतनसिंह धोलिया, मूलसिंह मोडरड़ी, गेंभरसिंह, नरपतसिंह शेखासर, भूपतसिंह अवाय, कृष्णपालसिंह कानसिंह की सिड्ड, वीर बहादूरसिंह चाखू, सवाईसिंह मनचीतिया सहित बडी संख्या में राजपूत समाज के लोग मौजूद रहे।