बाप न्यूज | ऐसे बहुत कम उदाहरण ही मिलेंगे की कोई एसी के कमरों में बैठने वाली सरपंच तपती दुपहरी में श्रमिकों के बीच जाकर अपने हाथों से सेव...
बाप न्यूज | ऐसे बहुत कम उदाहरण
ही मिलेंगे की कोई एसी के कमरों में बैठने वाली सरपंच तपती दुपहरी में श्रमिकों के
बीच जाकर अपने हाथों से सेवा श्रमदान करे। जी हां बाप कस्बे की महिला सरपंच लीलादेवी
जगदीश पालीवाल स्वयं 45 डिग्री गर्मी में मेघराजसर तालाब पर चल रहे मनरेगा कार्य मे
श्रमिको के साथ खड़ी रहकर उन्हें पूरा काम पूरा दाम की बात कहती है। सरपंच तालाब में
उगी जलीय घास भी श्रमिको के साथ बाहर निकालने का श्रमदान स्वयं करती है। महिलाओ को
विश्राम के समय सीख भी देती की वे अपने बच्चों को शिक्षित करे। बाल विवाह, नशा उन्मूलन,
स्वच्छता, बालिका शिक्षा की बातों पर चर्चा करती है। महिलाओ को सरकारी योजनाओं का लाभ
लेने के लिए प्रेरित भी करती है। सरपंच मनरेगा श्रमिक महिलाओं को बचत के मायने समझाने
के साथ छोटी बचत के लिए राष्ट्रीकृत बैंकों से जुड़ने का आग्रह भी करती है। अपने बीच
में सरपंच की मौजुदगी देख मनरेगा कार्यो पर लगे श्रमिक बहुत खुश नजर आते है। श्रमिक
कमला, मोहनी, लीला, बेबू, लक्ष्मी, भीखो कहती है कि हमारी सुध लेने आने वाली पहली महिला
सरपंच लीलादेवी पालीवाल है। वो मेटो को भी हिदायत देती की मजदूरो की टास्क पूरी होने
पर उन्हें आराम करने की छूट दे तथा काम का पूरा पैसा श्रमिक को मिलना चाहिए। वो कहती
हैं किसी भी श्रमिक का शोषण नही होना चाहिए। पूरा काम पूरा दाम मिलना चाहिए। भयंकर
गर्मी में मजदूर किस प्रकार मिट्टी खोदता है, यह उसका शरीर जानता है। सूर्य की तपिश
में उनके चमड़ी का रंग भी बदल जाता है, ऐसे में उनको मजदूरी पूरी मिलनी चाहिए।