बाप न्यूज | नवीन सत्र प्रारंभ के उपलक्ष में विद्या मंदिर परिसर में छोटे भैया बहिनों का विद्यारंभ संस्कार किया गया। भगवानसिंह राजपुरोहित ने...
बाप न्यूज | नवीन सत्र प्रारंभ के उपलक्ष में विद्या मंदिर परिसर में छोटे भैया बहिनों का
विद्यारंभ संस्कार किया गया। भगवानसिंह राजपुरोहित ने बताया कि हिंदू धर्म में सोलह
संस्कारों का उल्लेख किया जाता है, जो मानव को उसके गर्भधान से लेकर अंत्येष्टि क्रिया
तक किए जाते है। इसमें से कुछ ही संस्कार आज वर्तमान समय में किए जा रहे है। बाकी सभी
संस्कारों को हम भूलते जा रहे है। उनमें से एक प्रमुख संस्कार है विद्यारंभ संस्कार।
इस संस्कार का अभिप्राय बालक को शिक्षा के प्रारंभिक स्तर से परिचित करवाना है। प्राचीन
काल में जब गुरूकुल की परंपरा थी तो बालक को वेदाध्ययन के लिए भेजने से पहले घर में
अक्षर बोध करवाया जाता था। माता-पिता तथा गुरूजन पहले उसे मौखिक रूप से श्लोक पौराणिक
कथाओं आदि का अभ्यास करा दिया करते थे ताकि गुरूकुल में कठिनाई न हो। हमारा शास्त्र
विद्यानुरागी है शास्त्र की उक्ति है ‘सा विद्या या विमुक्तये’ अर्थात विद्या वही जो
मुक्ति दिला सके। विद्या अथवा ज्ञान ही मनुष्य की आत्मिक उन्नति का साधन है। हम सबको
अपने अपने बच्चों का 3 से 5 साल की आयु के बीच विद्यारंभ संस्कार अवश्य करवाना चाहिए।
इस दौरान व्यवस्था प्रमुख ओमप्रकाष पालीवाल, सुरेन्द्र कुमार पालीवाल, नरपतसिंह, लक्ष्मीनारायण
रामावत उपस्थित रहे।