भोपालगढ में प्रगतिशील किसान ने लगाये दो हजार तीन सौ अनार के पौधे दिसंबर -जनवरी में अनुमानित होगी छ:लाख की आय जल बचत के लिए अपनाई बूंद बूंद स...
भोपालगढ में प्रगतिशील किसान ने लगाये
दो हजार तीन सौ अनार के पौधे
दिसंबर -जनवरी में अनुमानित होगी
छ:लाख की आय
जल बचत के लिए अपनाई बूंद बूंद सिचांई
पद्धति
बाप न्यूज |मारवाड़ मे गिरते सिचांई भूजल से चिंतित किसान अब पारम्परिक खेती के साथ -साथ मशाला, बागवानी खेती को अपना रहे है। पश्चिम राजस्थान की अनार अब पसंदीदा बागवानी खेती होता जा रही है। सिन्दुरी किस्म के अनार के फलों में सुगंध युक्त मिठास होती है। यह सुगंध अब क्षेत्र में बहुतायत में महकनी शुरू हो गई है। जोधपुर जिले के भोपालगढ़ उपखंड कृषि क्षेत्र में बागवानी खेती को किसान प्राथमिकता देने लगे है। भोपालगढ़ क्षेत्र के ग्राम मंगेरिया के प्रगतिशील किसान पाबूसिंह राठौड़ ने बताया कि सिंचाई जल की कमी हो रही है।
खरीफ व रबी फसलो की पारम्परिक खेती के साथ यदि नवाचार अपनाया जाये तो कम सिचांई मे अधिक पैदावार मिले। इसी को ध्यान में रखते हुए एक दिन कृषि एवं उद्यान विभाग के कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी से सरकारी योजनाओं पर विस्तृत जानकारी ली। इन्होने बागवानी खेती की पद्धति एवं लाभ के बारे मे सलाह देते हुए बताया कि खेत की मिट्टी व सिचांई जल की जांच करवाएं। यदि रिपोर्ट अच्छी आती है तो बूंद बूंद सिचांई पद्धति को अपनाते हुए सफल बागवानी खेती का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। उसी दिन अनार की खेती को आजमाने का मानस बनाया। चार वर्ष पूर्व दो हजार तीन सौ सिंन्दुरी अनार के पौधे उद्यानिकी विभाग की सलाह अनुसार स्थापित किये। कुल तीन हेक्टर में अनार का बगीचा वर्तमान मे स्थापित है। मौसम को देखते हुए अभी अनार के पौधों को कवर किया ताकी उपज की गुणवत्ता बनी रहे। औंस, सर्दी, पक्षियों के नुकसान से बचाव भी होगा। बगीचे में जैविक पद्धति को महत्व दे रहा हूं। साथ ही उद्यानिकी की सभी उन्नत तकनीकी को अपनाया। योजना मे पौधौ व ड्रिप सिचांई पर अनुदान भी मिला।
पौधे पनपने तक पौधे के बीच रिक्त स्थानों में अंतराश्य के रूप मे खरीफ व रबी की फसलों का उत्पादन निरतंर मिलता रहा। सबसे ज्यादा फायदा यह हुआ कि बूंद बूंद सिचांई पद्धति अपनाने से कम सिचाई जल मे बागवानी खेती पनप गयी। आज एक पौधे पर 50 से 60 फल है। इस माह व जनवरी तक अनुमानित 6-7 किलोग्राम फल प्रति पौधे से मिलेगा। प्रति पौधा ढ़ाई सौ से तीन सौ रूपये की आय होगी। कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी ने भी अनार बगीचे का समय- समय पर निरीक्षण कर बागवानी की उपयोगी उन्नत तकनीकी जानकारी से लाभान्वित किया। राठौड़ ने क्षेत्र के किसानों को भी ऐसी बागवानी खेती करने की सलाह दी है।