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अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर विद्यार्थियों के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

बाप न्यूज़ : अशोक कुमार मेघवाल | फलोदी उपखंड मुख्यालय पर स्थित पोकरण रोड़ स्थित सुगन इंस्टिट्यूट के सामने संचालित प्रज्ञा चक्षु उच्च प्राथमि...

बाप न्यूज़ : अशोक कुमार मेघवाल | फलोदी उपखंड मुख्यालय पर स्थित पोकरण रोड़ स्थित सुगन इंस्टिट्यूट के सामने संचालित प्रज्ञा चक्षु उच्च प्राथमिक आवासीय विद्यालय फलोदी में शुक्रवार को  नेत्रहीन विद्यार्थियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया गया।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जोधपुर के अध्यक्ष एवं सेशन न्यायाधीश जोधपुर राघवेन्द्र काछवाल के निर्देशानुसार सचिव मुजफ्फर चौधरी अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश जोधपुर ग्रामीण द्वारा प्रज्ञा चक्षु उच्च प्राथमिक आवासीय विद्यालय में नेत्रहीन बच्चों को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया। 

इस अवसर पर संस्था प्रधान श्रवणराम जयपाल, विशेष शिक्षक विजयसिंह परिहार, राजेंद्र प्रसाद  वार्डन एवं नाथूलाल लोहार आदि उपस्थित रहें। सचिव चौधरी ने विचार व्यक्त करते हुये बताया कि विश्व में हर साल 3 दिसंबर को अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस अथवा अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाया जाता है। साल 1992 के बाद से विश्व विकलांग दिवस विकलांग व्यक्तियों के प्रति करुणा और विकलांगता के मुद्दों की स्वीकृति को बढ़ावा देने और उन्हें आत्मसम्मान, अधिकार और दिव्यांग व्यक्तियों के बेहतर जीवन के लिये समर्थन प्रदान करने के लिये एक उद्देश्य के साथ मनाया जाता है, वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा दिव्यांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रुप में वर्ष 1981को घोषित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं क्षेत्रिय स्तर पर दिव्यांगजनों के लिये पुनरुद्धार, रोकथाम, प्रचार एवं बराबरी के मौको पर जोर देने के लिये इस योजना को जन्म दिया गया है। दिव्यांग व्यक्तियों को समाज में विकास के बराबर अवसर, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने से लेकर सामान्य नागरिकों की तरह उनकी सेहत पर भी ध्यान देने के साथ उनकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये पूर्ण सहभागिता और समानता की थीम दिव्यांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के उत्सव के लिये निर्धारित किया गया था। 

विकलांगता भेदभाव अधिनियम-1995 यूनाइटेड किंगडम की संसद के द्वारा पारित एक अधिनियम है, हालांकि वर्तमान में इसे समानता अधिनियम 2010 के रुप में पहचाना जाता है। यह अधिनियम उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर दिव्यांग व्यक्तियों के संबंध में लोगों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने का एक अधिनियम है। यह खास अधिनियम रोजगार, वस्तुओं, सेवाओं, शिक्षा और अन्य सामाजिक गतिविधियों के प्रावधान और भेदभाव को करने के सन्दर्भ में बात करता है। अंत में संस्था प्रधान श्रवणराम जयपाल ने आभार व्यक्त किया।