कमांडेट रणवीरसिंह ने कहा - सीमाएं हमारी जिम्मेवारी है, हमारी जिम्मेवारी की कोई सीमा नहीं है बाप न्यूज़ | कस्बे में राउमावि के पास स्थित शहीद...
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कस्बे में राउमावि के पास स्थित शहीद गोरधनराम का बुधवार को पोकरण रामदेवरा सड़क मार्ग पर स्थित 87वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल पोकरण के जवानों ने गार्ड आॅफ ऑनर देकर पुष्प् अर्पित कर सम्मान किया। कमांडेंट रनवीर सिंह ने शहीद गोरधनराम की पत्नी संतोष बरवड़ को ऑपरेशनल कैज्यूल्टी प्रमाण पत्र सौंपा। विरांगना का शॉल ओढाकर भी सम्मान किया गया। इस दौरान कमांडेंट सिंह ने कहा कि आज सीमा सुरक्षा बल का स्थापना दिवस भी है, इस सुनहरे अवसर पर शहीद की पत्नी को ऑपरेशनल कैज्यूल्टी प्रमाण पत्र सौंपा गया है। सिंह ने कहा कि जब से सीमा सुरक्षा बल खड़ा हुआ है, तब से देश के विभिन्न भाग चाहे पाकिस्तान की सीमा हो या बंग्लादेश की सीमा किसी भी दुश्मन को एक इंच जमीन तक छुने नही दी। उन्होने कहा कि सीमा सुरक्षा बल सीमाओं पर ड्यूटी करते है। सीमाएं हमारी जिम्मेवारी है, हमारी जिम्मेवारी की कोई सीमा नहीं है। सिंह ने कहा कि अंदरूंदी भागों में भी सीमा सुरक्षाबल महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
आज देश के चारो तरफ काफी समस्याएं है। उन समस्याओं व चुनौतियों से मुकाबले के लिए दिन रात बीएसएफ जवान खड़े है। जब तक बीएसएफ सीमाओं पर बीएसएफ खड़ी है, दुश्मन आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। इस दौरान सहायक कमांडेंट मिलीनंद सोमकुले, निरीक्षक राजकुमार, सहायक निरीक्षक रेखाराम, तहसीलदार प्रतिज्ञा सोनी, जिला परिषद सदस्य रेशमाराम, पूर्व उप प्रधान जगदीश पालीवाल, नारायणराम मेहरा, सुनिल बरवड़, कल्याणसिंह की सिड्ड सरपंच केशुराम, गणपत भाट आदि मौजुद थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ शिक्षक तोलाराम पालीवाल ने किया।
3 नवम्बर 2000 को हुए थे शहीद
ग्राम नौसर निवासी गाेरधनराम का 11 जनवरी 1991 को सीमा सुरक्षा बल में चयन हो गया था। गोरधनराम ने पढाई बाप में की थी। 1992 में 31वीं बटालियन बीकानेर, वर्ष 1994 में 19वीं बटालियन गांधीनगर गुजरात रहे। इस बटालियन ने तीन वर्षीय स्थानातंरण पर कश्मीर के बारामूला क्षेत्र में पदस्थापित रहकर अनको बार उग्रवादियो से लोहा लिया। वर्ष 1998 में 51वीं बटालियन बाड़मेर में रहे। जून 2000 में इस बटालियन का बाड़मेर से कश्मीर के बड़गाम में स्थानातंरण हो गया था।
3 नवम्बर 2000 को कुठीपुरा बड़गाम में आरक्षक गोरधनराम गोली लगने से घायल हो गए थे। घायल होने के बाद भी जान की परवाह किये बगैर उन्होने जैश ए मुहम्मद के एक आंतकवादी को मार गिराया तथा स्वयं घटनास्थल पर वीरगति को प्राप्त हो गए। आरक्षक गोरधनराम के सर्वोच्च बलिदान को सराहते हुए भारत सरकार ने उन्हे मरणोपंरात वर्ष 2002 में वीरता के लिए पुलिस पदक प्रदान किया। बाप कस्बे में राउमावि के पास शहीद गोरधनराम की प्रतिमा लगी हुई है।