रमन दर्जी | जोधपुर जिला मुख्यालय से उत्तर पश्चिमी में स्थित बाप कस्बा, जो अब सोलर सिटी के नाम से भी जाना जाने लगा है। बाप कस्बे का इतिहास ...
रमन दर्जी | जोधपुर जिला मुख्यालय से उत्तर पश्चिमी में स्थित बाप कस्बा, जो अब सोलर सिटी के नाम से भी जाना जाने लगा है। बाप कस्बे का इतिहास लगभग 6 शताब्दियों से भी अधिक पुराना है। रियासत काल में यह कस्बा जैसलमेर रियासत का एक परगना था। रियासत काल मे परगना अनेक गांवों की इकाई को कहा जाता था।
परगना होने की वजह से प्रशासनिक दृष्टिकोण से रियासती काल में यंहा मुंसिफ कोर्ट भी था। लेकिन आज़ादी पश्चात बाप जोधपुर जिले के हिस्से में आ गया। फिर थाना चौकी व पंचायत मुख्यालय बना। फिर समय की कदमताल के साथ समिति मुख्यालय, तहसील मुख्यालय, सर्कल थाना व वर्तमान में उपखंड मुख्यालय है। हाल ही में सरकार ने यंहा मुंसिफ कोर्ट भी शुरू कर दिया। तवारीख़ जैसलमेर पुस्तक के अनुसार बाप कस्बे को जैसलमेर के राव केलण के साथ आये पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था।
कस्बे का सबसे बड़ा जल स्रौत मेगराजसर तालाब है। जिसका निर्माण मेगराज पालीवाल ने विक्रम संवत 1520 से 1525 के दरमियान करवाया था। आज भी यह तालाब बाप कस्बा सहित आसपास के दर्जनो गांवों की प्यास बुझा रहा है। यह तालाब जोधपुर जिले के बड़े तालाबो में शुमार है। तालाब पर प्रसिद्ध बटुक भैरव मंदिर भी है, जिसके नाम पर बाप गांव को भैरव नगरी से भी जाना जाता है।
इसके अलावा तालाब पर एक मठ, एक शिव मंदिर व कई छतरियां भी है, जो स्थापत्य कला की बेजोड़ विरासत है। कस्बे में दो प्राचीन वैष्णव मंदिर भी है जिनका वर्णन जैसलमेर के इतिहास की किताबो में भी उल्लेखित है।
बाप गांव अपने स्थापना से ही कृषि प्रधान रहा है। यहाँ के लोग छोटे छोटे बांध बनाकर जिनको स्थानीय भाषा मे खड़ीन कहा जाता है, में वर्षा का पानी संचित कर खेती करते है।
बाप बेल्ट किसी जमाने मे काठिया गेंहू व चनों के लिए अपनी अलग पहचान रखता था। वही खरीफ की फसलों में यहां बाजरा व ज्वार आदि फसलों की बुवाई की जाती है। वर्तमान में किसानो का तारामीरा, सरसों व सोनामखी जैसी व्यापारिक फसलों की तरफ भी रुझान बढ़ा है।
नेशनल हाइवे व ग्रमीण सड़को के जुड़ाव के कारण यह बाप कस्बा व्यापारिक रूप से आस पास के कई गाँवो का केंद्र बिंदु है। पिछले एक दशक पूर्व यह रेल परिवहन से भी जुड़ चुका है। यहाँ के व्यवसायी कलकत्ता, सूरत, मद्रास, इरोड, नागपुर जैसे भारत के कई अन्य प्रमुख व्यापारिक नगरों में भी व्यवसाय करते है।
नमक उद्योग क्षेत्र में बाप रिण बेल्ट की भी एक अलग पहचान है। वर्तमान में यह बाप क्षेत्र सोलर हब में रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। राज्य के कुल सौर ऊर्जा उत्पादन का लगभग 25% उत्पादन बाप क्षेत्र में होता है।
राजनीतिक ईकाई के रूप में आजादी के बाद से ही बाप ग्राम पंचायत मुख्यालय रहा है। श्रीराम पालीवाल प्रथम सरपँच निर्वाचीत हुए थे।। इसी गांव के भगवान दास मेहता बाप समिति के प्रधान भी रह चुके है।
गाँव मे शैक्षिणक अलख गुरुजी के उपनाम से प्रशिद्ध गोपीलाल शर्मा ने जगाई। बाद में जैसलमेर महारावल ने स्थानीय पटवार भवन में 1931 में प्रारम्भिक स्कूल की स्थापना की। इसके बाद यंहा 1947 श्रीहुक्म विद्यालय के नाम से विद्यालय भवन का निर्माण करवाया गया। वर्तमान में गाँव के युवा CA, CS, डॉक्टर, इंजीनियर व वकील जैसी प्रोफेशनल व कई अन्य सरकारी सेवाओ में काम कर रहे है।