Page Nav

HIDE

Classic Header

Top Ad

Breaking News:

latest

सल्फर युक्त सिंगल सुपर फास्फेट है खेती के लिए वरदान : डाॅ.भाकर

फसल का प्रतिकात्मक फोटो

फसल का प्रतिकात्मक फोटो
बाप न्यूजफसलों की अच्छी ग्रोथ व उपज बढाने के लिए किसान खेती में विभिन्न प्रकार के उर्वरक का प्रयोग करते है। इनमें यूरिया, डीएपी एवं सिंगल फास्फेट आदि शामिल है। इनमें से तिलहन व दलहन की फसलों में सिंगल सुपर फास्फेट की उपयोग कैसे करे, इसकी विस्तृत जानकारी कृषि विभाग ने साझा की है।

उपनिदेशक कृषि जोधपुर डाॅ. जेआर भाकर ने बताया कि उर्वरक में सिंगल सुपर फास्फेट एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें कि 16 प्रतिशत फास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर तत्व पाया जाता है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक दलहनी एवं तिलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है। सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक डीएपी की अपेक्षाकृत सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फास्फोरस व 9 किलोग्राम नत्रजन पाई जाती है। यदि डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में तीन बैग एसएसपी व एक बैग यूरिया उर्वरक का प्रयोग किया जाता है, तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक मात्रा मे नाइट्रोजन और फास्फोरस प्राप्त किया जा सकता है।

 

उपनिदेशक कृषि जोधपुर डाॅ. जेआर भाकर ने किसानों को सुझाये विकल्प

विकल्प 1

एक बैग डीएपी उर्वरक में प्राप्त पौषक तत्वों की मात्रा फास्फोरस 23 किलोग्राम व नाइट्रोजन 09 किलोग्राम यानी कुल 1200 रुपये होता है।

विकल्प 2

पौषक तत्वों की मात्रा 03 बैग एसएसपी + 01 बैग यूरिया उर्वरक में प्राप्त पौषक तत्वों की मात्रा में फास्फोरस 24  किलोग्राम व नाइट्रोजन 20 किलोग्राम तथा सल्फर 16 किलोग्राम यानी कुल 1166 रुपये होता है।

 

डॉ. भाकर ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि रबी की दलहनी व तिलहनी फसलों में विकल्प दो के अनुसार यदि उर्वरक का मिश्रण कर उपयोग किया जाता है, तो आर्थिक व भूमि की उर्वरता के लिहाज से भी फायदेमंद है। उर्वरक सिंगल सुपर फास्फेट एवं यूरिया का उपयोग करने से दलहनी व तिलहनी फसलों का उत्पादन वृद्धि का भी लाभ मिलता है।

कृषि पर्यवेक्षक रफीक अहमद कुरैशी ने बताया कि औषधीय खेती में गुगल व ग्वारपाठा की खेती करने के इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन-पत्र प्रस्तुत कर सकते है। इन पर भी अनुदान देय है।