पौधरोपण करते हुए
पौधरोपण करते हुए |
एसडीएम व्यास ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि पश्चिमी राजस्थान में उपलब्ध संसाधनों द्वारा पोषक तत्व की प्राप्ति की जाये जिसमें कैर, सांगरी, कुमट, आदि का समावेश भोजन में किया जाना चाहिये। पोषण पर चर्चा करते हुये एनिमिया ग्रसित महिलाओं को हरी पत्तेदार सब्जियों का महत्व बताया। अनिल विश्नाई ने खाद एवं उर्वरक का महत्व बताते हुए सहकारी समिति के कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर अतिथियों ने केंद्र पर पौधरोपण किया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सेवाराम कुमावत ने बताया कि वर्तमान में कुपोषण भारत के लिये एक बड़ी गंभीर समस्या है। इसे दूर करने के लिये देश में पिछले तीन वर्षो से पोषण माह अभियान मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र फलोदी द्वारा आयोजित कि गई गतिविधियों के बारे में अवगत करवाते हुये बताया कि फल एवं सब्जियों की कुछ विशेष किस्में जिनमें पोषक तत्व सामन्य से अधिक मात्रा में पाये जाते है उन्हें बायोफॉर्टिफाइड किस्में कहते हैं जिनमें गेंहू, बाजरा, पालक, मेथी, गाजर, मूली एवं बैंगन आदि सब्जियां सम्मिलित है।
डॉ. गजानन्द नागल ने महिलाओं के लिये सहजान वृक्ष के औषधिय महत्व को विस्तृत रूप में बताया तथा डॉ. मनमोहन पूनिया ने फल एवं सब्जियों की खेती करने में संतुलित पोषक तत्वों का महत्व बताया। भागचन्द ओला ने ताजा सब्जियों हेतु पोषक वाटिका की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. सुनीता चौधरी ने महिलओं, युवतियों, धात्री महिलाओं के पोषण पर विस्तृत रूप से चर्चा की। राष्ट्रीय पोषण दिवस पर केन्द्र द्वारा प्रतिभागियों को पोषण वाटिका किट उपलब्ध करवाये गये, जिसमें मौसमी व पौष्टिक सब्जियों के बीज तथा प्रत्येक कृषक व कृषक महिलाओं को अमरूद एवं निम्बू के पौधे वितरित किये। कार्यक्रम में कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, महिला व बाल विकास विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।