बाप पौधशाला में तैयार हो रहे औषधीय पौधे
बाप पौधशाला में तैयार हो रहे औषधीय पौधे |
औषधीय पौधों का परिचय व महत्व
अश्वगंधा –
इसका वैज्ञानिक नाम विथानीया
सोमनिफेरा है। एक से 5 फीट ऊंचा झाडीदार रोमश क्षुप है। पुष्प पीताभ हरित, फल गोल चिकने
व लाल होते है। इसका प्रयोज्य अंग मूल है। अश्वगंधा रसायन, संक्रमण रोाधी, रोग प्रतिरोधक
क्षमता वर्धक, शुक्र धातुवर्द्धक, रक्तचाप, पक्षाघात, मानसिक विकास, दौर्बल्यनाशक,
शौथहर इत्यादि में उपयोगी होता है।
गिलोय –
इसका वैज्ञानिक नाम टनोस्पोरा
कॉर्डिफेलिया है। यह बहुवर्षीय झाडीनुमा लता है। इसका प्रयोज्य अंग तना है। गिलोय रसायन,
त्रदोषहर, रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्द्धक, सभी प्रकार के ज्वर, मधुमेह, रक्त को साफ
करने वाली होती है।
कालमेघ –
इसका वैज्ञानिक नाम एंड्रोग्राफिस
पैनीकुलेटा है। यह एक से तीन फीट तक ऊंचा क्षुप होता है। पुष्प गुलाबी रंग के पत्र
छ: से आठ सेमी लंबे होते है। प्रयोज्य अंग तना, पत्र, पुष्प, बीज एवं मूल होता है।
कालमेघ ज्वर, बलवर्धक, कृमि आंव, आध्यमान, पेचिस में उपयोगी एवं एंटीवायरल गुणों से
भरपूर होता है।
तुलसी-
इसका वैज्ञानिक नाम ऑसीमम
सैक्टम है। इसका पौधा एक से 3 फीट ऊंचा क्षुप होता है। तीव्र गंध होती है। प्रयोज्य
अंग पत्र एवं बीज होते है। तुलसी कूमिघ्न, विषम ज्वरहर, सर्दी खांसी, जुखाम, चर्म रोग,
अग्निमांद्य, उदर विकार, कैंसर आदि में उपयोगी है।