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दूसरा दशक के वर्चुअल शिक्षण कार्यक्रम से 100 व्यक्ति लाभांवित

बाप न्यूज : अशोक कुमार मेघवाल | कोरोना-काल में सरकारी विद्यालयों से जुड़े विद्यार्थियों के लिये तो स्माईल, आओ घर में सीखें जैसे कार्यक्रम चला...

बाप न्यूज : अशोक कुमार मेघवाल | कोरोना-काल में सरकारी विद्यालयों से जुड़े विद्यार्थियों के लिये तो स्माईल, आओ घर में सीखें जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे है ताकि बंद स्कूलों के बावजूद बच्चों की पढ़ाई लगातार चलती रहे, लेकिन ड्रॉप आउट्स को शिक्षा का दूसरा अवसर देने वाले ओपन स्कूल से जुड़े व्यक्तियों के लिये शैक्षिक सहयोग की कोई व्यवस्था नही है। ऐसे में दूसरा दशक द्वारा की गई शैक्षिक सहयोग की पहल ओपन स्कूल के परीक्षार्थियों के लिए संजीवनी का काम कर रही है। दूसरा दशक द्वारा जूम एप एवं व्हाट्स एप्प माध्यमों से कराये जा रहे वर्चुअल शिक्षण से 100 से अधिक परीक्षार्थियों को लाभ हो रहा है। बाप एवं फलोदी क्षेत्र के राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से संबंधित परीक्षार्थियों के लिये पिछले पचास दिनों से वर्चुअल शिक्षण क्लासेज आयोजित की जा रही है, पचास दिन की अवधि में 22 वर्चुअल शिक्षण सत्र आयोजित हुये जिसमें 100 से अधिक व्यक्तियों की भागीदारी रही ये 100 संभागी जोधपुर जिले के बाप, फलोदी व घंटियाली ब्लॉक तथा बीकानेर जिले के कोलायत ब्लॉक के निवासी है।

चूंकि ओपन स्कूल बोर्ड की ओर से इन परीक्षार्थियों को किसी प्रकार का मार्गदर्शन नही मिल रहा है इसलिये इन परीक्षार्थियों के लिये कोरोना-काल में ये वर्चुअल शिक्षण सत्र बहुत उपयोगी साबित हो रहे है। शिक्षण सत्रों में अब तक कक्षा 10 एवं 12 के हिंदी व गृह विज्ञान विषयों पर चर्चा हुई है। दोनों विषयों के पंद्रह से अधिक पाठों पर शिक्षण कार्य हुआ है। कंचन थानवी, शैलजा, मुक़दर, भंवरलाल, अणदाराम प्रशिक्षक शिक्षण सत्रों का संचालन कर रहे है। 

शिक्षण में रोचकता आमने-सामने के शिक्षण की तुलना में वर्चुअल शिक्षण में रोचकता बनाये रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। शिक्षण में ऑनलाइन प्लेटफार्म की तकनीक का उपयोग कार्यकर्ताओं एवं शिक्षार्थियों दोनों के लिए बिल्कुल नया था। इसके लिए दूसरा दशक के प्रशिक्षकों ने कई प्रयोग किये, वर्चुअल शिक्षण के दौरान फोटोज, विडियो और पीपीटी का उपयोग किया गया। यह सब कार्यकर्ताओं ने सीखा और ग्रामीण अंचल के परीक्षार्थियों को भी सिखाया। सीखने की यह प्रक्रिया लगातार जारी है। वर्चुअल शिक्षण का फॉलोअप शिक्षण सत्र के बाद में परीक्षार्थियों एवं सीखने वालों का व्हाट्स एप्प एवं फोन के माध्यम से संपर्क बना रहता है। 

दूसरा दशक से जुड़े लगभग सभी व्यक्तियों को व्हाट्स ग्रुप से जोड़ा गया है। इस ग्रुप में संबंधित पाठ की पीडीएफ कॉपी, विडियो, फोटो आदि भी साझा करते है। सत्र की समाप्ति के बाद शिक्षकों द्वारा प्रतिदिन प्रश्न दिये जाते है, इन प्रश्नों के उत्तर लिख कर परीक्षार्थी अपनी कॉपी का फोटो ग्रुप में पोस्ट करते है। प्रशिक्षकों द्वारा इस कॉपी की डिजिटली जांच होती है। कमियों का उल्लेख करने के साथ ही उनकी विशेषताओं की सराहना ही जाती है। शिक्षण में परीक्षार्थियों की अभिव्यक्ति को मजबूत करने के उद्देश्य से उनको सहयोगी शिक्षक के रूप में उनकी रुचि के विषयों पर अपनी बात कहने का विशेष अवसर दिया जा रहा है। 

अब तक 10 वीं एवं 12 वीं के जिन 11 परीक्षार्थियों ने सहयोगी शिक्षक की भूमिका निभाई है, दीपा व्यास, ज्योति सोनी, आरती माली, अस्मा खातु, हिना व्यास, मनीष भार्गव, सोनू, शोभा, नैय्यर, पूजा भार्गव, ममता आदि। परीक्षा के अनुभव से गुजरे ये परीक्षार्थी नये व्यक्तियों को सुंदर एवं स्पीड से लिखने तथा विभिन्न विषयों के पाठों को दैनिक जीवन से जोड़ने के तरीकों की जानकारी भी देते है। उल्लेखनीय है कि फलोदी क्षेत्र के ड्राप आउट्स को राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से जोड़ने के लिए दूसरा दशक द्वारा 2015 से जागरूकता तथा परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है पिछले 6 वर्षों में 15 हजार से अधिक ड्राप आउट्स ओपन स्कूल की 10 वीं एवं 12 वीं की परीक्षाओं से जुड़ चुके है इनमें करीब 40 प्रतिशत महिलाएं है।