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तन-मन से समर्पित होकर करे गाय की सेवा : त्याग मूर्ति

नई शिक्षा नीति पर बोले संत, कहा -  मूल शिक्षा में कोई परिवर्तन नहीं, यह शिक्षा नीति भी बनाएगी निकम्मा Bap Newe :  बाप कस्बा स्थित पशु च...

नई शिक्षा नीति पर बोले संत, कहा -  मूल शिक्षा में कोई परिवर्तन नहीं, यह शिक्षा नीति भी बनाएगी निकम्मा

Bap Newe :  बाप कस्बा स्थित पशु चिकित्सालय में सोमवार को मासिक बैठक आयोजित हुई। बैठक में संत त्याग मुर्ति महाराज भी उपस्थित थे। बैठक को संबोधित करते हुए संत त्याग मूर्ति महाराज ने कहा कि गौ सेवा सबसे बड़ी से सेवा हैं। गाय की सेवा तन मन से समर्पित होकर करनी चाहिए। अर्थ व धर्म के दृष्टिगत भी गाय उपयोगी है। गाय की सेवा से शरीर स्वास्थ्य रहेगा, मन भी प्रसन्न रहेगा। साथ ही आत्मा का उत्थान भी होगा। उन्होने कहा कि गाय हमको पालती है इस बात को याद रखना जरूरी हैं। उन्होने श्रीकृष्ण का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान का अवतार गाय के लिए ह़ुआ हैं। 
वर्तमान समय में गाय की दुर्दशा पर चिंता करते हुए संत ने कहा कि उन्होंने कहा कि निष्ठावान लोगों की कमी हैं। जितने लोग गौशालाएं खोल कर बैठे है वे गोसेवा नहीं करते। वे केवल हिसाब किताब लिखते है, तथा उसी को ही सेवा कहते हैं। 
यूरिया से जमीन बर्बाद हो रही हैं। फिर भी देशी खाद के लिए गोबर का उपयोग नहीं किया जा रहा हैं। यही दुर्भाग्य हैं। धन का प्रभाव हैं। इसलिए धन के लिए ही सब कुछ हो रहा हैं। धर्म व जन के लिए कुछ नहीं हो रहा हैं। संत ने कहा कि गोचर भूमि संरक्षण के लिए जन आंदोलन होना चाहिए। 

मूल शिक्षा में नहीं हुआ अभी तक परिवर्तन

नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए संत ने कहा कि सिलेबस व सिस्टम बदलेंगे, लेकिन इसमें भी मूल नहीं है। नई शिक्षा नीति में कोशिश जरूर की गई है। शिक्षा नीति 20 – 30 साल में बदल देनी चाहिए। लेकन इसमें भी निकम्मा बनाने का ही काम हैं। जो हमारी मूल शिक्षा थी, जिसमें हमारे कौशल का विकास होता था। वह नहीं है इसमें भी। अभी तक मूल कोई परिवर्तन शिक्षा में हुआ नहीं है। न ही दुर दुर तक दिखाई देता हैं। 
कोई परिवर्तन ठीक से देश में हो ही नहीं रहा। पता नहीं इस सत्ता को क्या हो गया हैं? इसलिए इस सत्ता से उम्मीद नहीं की जा सकती।