झौपड़े में बैठकर करते है जन सुनवाई एवं अधिकारियों के साथ बैठक झौपड़ा जहां विधायक करते है जनसुनवाई Bap New s: ( अशोक कुमार मेघवाल/कै...
झौपड़े में बैठकर करते है जन सुनवाई एवं अधिकारियों के साथ बैठक
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झौपड़ा जहां विधायक करते है जनसुनवाई |
आमतौर पर विधायक व नेताओं का ख्याल आते ही जेहन में आता है उनका आलीशान घर एवं पूरी तरह से फर्निसिंग कार्यालय। लेकिन लोहावट विधायक किसनाराम विश्नोई आज भी झौपड़े में अपना कार्यालय चला रहे है। इसी कारण से वो आम जन के बीच में झौपड़े वाले विधायक के रूप में चर्चित है। इसका कारण है उनके घर पर बना झौपड़ा जहां पर बैठकर वो क्षेत्र के आम जन से मुलाकात करते है साथ ही इसी में अधिकारियों की बैठक भी लेते है।
विधायक ने इसका नाम किसान हट रखा है। इस बारे में विधायक किसनाराम विश्नोई कहते है कि वो किसान के बेटे है उनका जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। वो जन्म से लेकर अब तक झौपड़े में ही रहे है। अब जब विधायक बना है, तो यही पर बैठकर आम जन से मुलाकात कर उनके अभाव अभियोग सुनकर उनका निस्तारण करने का प्रयास कर रहा हुं।
इस झौपडे का निर्माण उनके पिताजी स्वर्गीय भींयाराम जी विश्नोई ने 15 साल पहले किया था। विश्नोई ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बड़े बुजुर्ग इसको देखकर अपने पुराने दिनों की याद को ताजा करते हुए कहते है, आपने इस झौपड़े को अच्छी तरह से संभाल कर रखा है। विश्नोई ने बताया कि यहां पर आम जन के साथ बैठने से मन को सुकुन मिलता है।
पहले हर घर में होते थे झौपड़े
मारवाड़ क्षेत्र में पुराने समय में झौपड़े ही आम जन का निवास स्थान हुआ करते थे। समय के परिवर्तन के साथ पक्के मकान बनने शुरू हो गये है। अब तो गांवों में आरसीसी से मकान आदि बनने लगे है। लेकिन विधायक किसनाराम विश्नोई ने अपने घर के बाहर स्थित इस झौपड़ों को अच्छी तरह से सहेज कर रखा है। उन्होंने इसे अंदर से से नया लुक देकर तैयार किया है।
बुजुर्ग बताते है अरणे व आक की लकड़ी को जोड़कर झौपड़ा बनाया जाता है। इन लकड़ियों को आपस में जोड़े रखने के लिए लोहे के पतले तार व सिणये की बड़ी से बाती बांधी जाती है। इसके साथ ही झौपड़े को ऊपर से ढकने के लिए बाजरे के डोके काम में लिए जाते है जिसको छज कहते है। साथ ही इसके ऊपर खींप आदि भी दिया जाता है।
गर्मी के समय झौपड़ा ठंडा रहता है साथ ही किसी भी प्राकृतिक आपदा भूकंप आदि के समय के समय में इसमें रहने वाले लोगों को बहुत कम नुकसान होता है। क्योंकि इसकी बनावट ऐसी है की इसके गिरने पर भी लोग इसके नीचे पूर्णतया सुरक्षित रह सकते है। आज के समय में पश्चिमी राजस्थान की कई हेरिटेज होटलों में बने ऐसे झौपड़े पर्यटकों के लिये आर्कषण का केंद्र बने हुए है।
विधायक ने इसका नाम किसान हट रखा है। इस बारे में विधायक किसनाराम विश्नोई कहते है कि वो किसान के बेटे है उनका जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। वो जन्म से लेकर अब तक झौपड़े में ही रहे है। अब जब विधायक बना है, तो यही पर बैठकर आम जन से मुलाकात कर उनके अभाव अभियोग सुनकर उनका निस्तारण करने का प्रयास कर रहा हुं।
इस झौपडे का निर्माण उनके पिताजी स्वर्गीय भींयाराम जी विश्नोई ने 15 साल पहले किया था। विश्नोई ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बड़े बुजुर्ग इसको देखकर अपने पुराने दिनों की याद को ताजा करते हुए कहते है, आपने इस झौपड़े को अच्छी तरह से संभाल कर रखा है। विश्नोई ने बताया कि यहां पर आम जन के साथ बैठने से मन को सुकुन मिलता है।
पहले हर घर में होते थे झौपड़े
मारवाड़ क्षेत्र में पुराने समय में झौपड़े ही आम जन का निवास स्थान हुआ करते थे। समय के परिवर्तन के साथ पक्के मकान बनने शुरू हो गये है। अब तो गांवों में आरसीसी से मकान आदि बनने लगे है। लेकिन विधायक किसनाराम विश्नोई ने अपने घर के बाहर स्थित इस झौपड़ों को अच्छी तरह से सहेज कर रखा है। उन्होंने इसे अंदर से से नया लुक देकर तैयार किया है।
बुजुर्ग बताते है अरणे व आक की लकड़ी को जोड़कर झौपड़ा बनाया जाता है। इन लकड़ियों को आपस में जोड़े रखने के लिए लोहे के पतले तार व सिणये की बड़ी से बाती बांधी जाती है। इसके साथ ही झौपड़े को ऊपर से ढकने के लिए बाजरे के डोके काम में लिए जाते है जिसको छज कहते है। साथ ही इसके ऊपर खींप आदि भी दिया जाता है।
गर्मी के समय झौपड़ा ठंडा रहता है साथ ही किसी भी प्राकृतिक आपदा भूकंप आदि के समय के समय में इसमें रहने वाले लोगों को बहुत कम नुकसान होता है। क्योंकि इसकी बनावट ऐसी है की इसके गिरने पर भी लोग इसके नीचे पूर्णतया सुरक्षित रह सकते है। आज के समय में पश्चिमी राजस्थान की कई हेरिटेज होटलों में बने ऐसे झौपड़े पर्यटकों के लिये आर्कषण का केंद्र बने हुए है।