Bap New s: उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत श्रीसुरपुरा निवासी सैनिक हजारीराम विश्नोई ने अपनी तीन माह की पगार खर्च कर अपने गांव कलराबा ब...
Bap News: उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत श्रीसुरपुरा निवासी सैनिक हजारीराम विश्नोई ने अपनी तीन माह की पगार खर्च कर अपने गांव

सैनिक
विश्नोई ने बताया कि उनके गांव में ये उक्त विद्यालय सन् 1974 में स्थापित हुआ था।
लगभग 46 वर्ष बीत जाने के बाद भी एक अच्छे मुख्य द्वार को विद्यालय तरस रहा था। विद्यालय
में मुख्यद्वार के नाम पर केवल छोटा सा गेट था, उसके भी पिलर ढह गये थे। सेना में कार्यरत
हजारीराम विश्नोई ने अपनी तीन महीने की तनख्वाह लगाकर उक्त विद्यालय भव्य मुख्य द्वार
बनवा दिया। मुख्य द्वार बनते ही विद्यालय की सूरत ही बदल गई।
सैनिक
ने इसी विद्यालय में की थी पढाई
उन्होने
बताया कि वे 1989 से लेकर 1992 तक इसी विद्यालय में पढे थे। इसी विद्यालय से पढ़े विद्यार्थी
बड़ी संख्या में सरकारी संस्थानों में तथा व्यवासायिक क्षेत्र में सम्मानजनक पदों पर
सेवाएं दे रहे है। उनके अनुसार जिस विद्यालय से विद्या ली, अच्छी सोच पाई। उस संस्थान
के लिये ‘पे बेक’ करना मेरा फर्ज है। मेरा ये अंशदान व्यर्थ नहीं जाएगा बल्कि मेरे
ही क्षेत्र के लोगों के बच्चों की और बेहतर तामील के काम आयेगा। अच्छी शिक्षा एकमात्र
वो हथियार है, जिससे समाज में व्याप्त बहुत सारी बुराईयों को खत्म किया जा सकता है।
विश्नोई ने बताया कि उसका अगला कदम इसी विद्यालय के नाम से पट्टा बनवाना है। 46 साल
का लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद भी अब तक विद्यालय के नाम जमीन नहीं है।
दो और अहम प्रोजेक्ट पर कर रहे है काम
सैनिक
हजारी राम बिश्नोई स्थानीय युवाओं को बेहतर रोजगार तथा प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी
को लेकर "सफल तथा संघर्षरत" युवाओं का एक प्लेटफार्म तैयार कर रहे है। उनका
मानना है कि इस क्षेत्र में प्रतिभावान युवा जो विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं में सफल
होकर सरकारी पदों पर सेवा दे रहे है वे अगर पार्ट टाइम कुछ समय संघर्षरत युवाओं को
दें तो, वे कई यूथ के बड़े मार्गदर्शक साबित हो सकते है। विश्नोई "गांव का युवा,
गांव के लिए" तथा "बड़े तो हो गये कामयाब, छोटों को भी करेंगे कामयाब"
जैसे स्लोगन से एक कड़ी जोड़नें की कोशिश कर रहें है।सैनिक
हजारी राम बिश्नोई अपनी ग्राम पंचायत में "नारी सशक्तिकरण केंद्र" खोलनें
की भी तैयारी कर चुके है। इसके लिए उनकी 'अमृता देवी शिक्षण संस्थान' तथा 'ग्रामीण
विकास चेतना संस्थान' से बात चल रही है। उनके अनुसार गांवों में आधी आबादी मातृशक्ति
काम के अभाव में बेरोजगार रहती है।