Bap New s: बाप कस्बे सहित समूचे बाप उपखंड क्षेत्र में सोमवार को मुस्लिम समाज ने ईद घरों मे रहकर मनाई। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार ईद पर ...
लॉकडाउन की वजह से सभी लोगों ने अपने-अपने घरों में ही ईद मनाई। रमजान महिने के पूरे होने के बाद ईद-उल-फितर दुनियाभर में मनाए जाने वाले सबसे पवित्र मुस्लिम त्योहारों में से एक है। लॉकडाउन के चलते इस बार लोग ईद की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद नहीं जा पाए व ना ही इस वर्ष लोग रिश्तेदारों के पास जा सके। घरों में ईद की नमाज अदा करने के बाद सोशल मीडिया पर भी दिनभर एक दुसरे को ईद मुबारकबाद दी गई। ईद की नमाज अदा कर मुस्लिम भाईयों ने देश में अमन, चैन व तरक्की के साथ कोरोना संक्रमण काल से मुक्ति दिलाने की दुआ मांगी गई।
घरों में बनी सेवंईयों का लुत्फ उठाया।
बाप ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मेहबूब खान ने बताया कि ईद उल फितर पर पहली बार नमाज घर पर पड़ी। मैंने अकेले ही नहीं सभी मुस्लिम भाईयों ने अपने-अपने घरों में नमाज अदा करके ईद का त्योहार मनाया। उन्होंने कहा कि हमने सरकार द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन किया हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम ईद को ऐसे मनाएंगे। एक ना एक दिन सब ठीक हो जाएगा। उन्होंने बताया कि ईद-उल-फितर त्याग की भावना समझता है, यह पर्व बताता है कि इंसानियत के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, ताकि एक बेहतर समाज को बनाया जा सके। हमेशा भाईचारे के साथ रहना चाहिए ताकि हर घर में सुख व शांति रहे। उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान के अनुसार, रमजान के माह में रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को बख्शीश व इनाम देता है। बख्शीश व इनाम के इस दिन को ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस दिन लोग जरूरतमंदों की मदद करने के लिए एक खास राशी निकालते हैं, जिसे जकात (दान) कहते हैं। इस जकात उनकी जरूरतों को पूरा किया जाता है और जिससे इस पर्व का बराबरी का मकसद पूरा हो सके।
बाप ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मेहबूब खान ने बताया कि ईद उल फितर पर पहली बार नमाज घर पर पड़ी। मैंने अकेले ही नहीं सभी मुस्लिम भाईयों ने अपने-अपने घरों में नमाज अदा करके ईद का त्योहार मनाया। उन्होंने कहा कि हमने सरकार द्वारा बताए गए सभी निर्देशों का पालन किया हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम ईद को ऐसे मनाएंगे। एक ना एक दिन सब ठीक हो जाएगा। उन्होंने बताया कि ईद-उल-फितर त्याग की भावना समझता है, यह पर्व बताता है कि इंसानियत के लिए अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, ताकि एक बेहतर समाज को बनाया जा सके। हमेशा भाईचारे के साथ रहना चाहिए ताकि हर घर में सुख व शांति रहे। उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान के अनुसार, रमजान के माह में रोजे रखने के बाद अल्लाह अपने बंदों को बख्शीश व इनाम देता है। बख्शीश व इनाम के इस दिन को ईद-उल-फितर कहा जाता है। इस दिन लोग जरूरतमंदों की मदद करने के लिए एक खास राशी निकालते हैं, जिसे जकात (दान) कहते हैं। इस जकात उनकी जरूरतों को पूरा किया जाता है और जिससे इस पर्व का बराबरी का मकसद पूरा हो सके।