Bap News : (Article) अक्षय तृतीया का पावन पर्व आज 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन के कारण देशभर में लोग घरों में...
अक्षय तृतीया का पावन पर्व आज 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन के कारण देशभर में लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। इस कारण देशभर में मंदिर भी प्रवेश प्रतिबंधित है। ऐसे में सभी को घर में रहकर ही विष्णु भगवान की अराधना करनी चाहिए। वैसी भी कहा जाता है कि भगवान तो भाव के भूखें हैं। पंचांग के अऩुसार अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ दिन है। कहा जाता है कि इस दिन दिन कमाया गया पुण्य अक्षय रहता है।
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। वहीं इस दिन सुबह सवेरे स्नान करने के बाद भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान को जौ, सत्तू या फिर चने की दाल जो घर पर हो अर्पित करें। पितरों की शांति के लिए अक्षया तृतीया को बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन पितरों की शांति के लिए भी गरीबों को दान किया जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन दान करता है। उसे अक्षय लाभ मिलता है।
इस दिन सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना के लिए शिव-पार्वती और नर नारायण की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी इस दिन विधान है।
विलुप्त होने के कगार पर बाप में आखतीज पर टँकौर बजाने की परम्परा :-
विशेष रूप से कृषक वर्ग का यह आखातीज त्यौहार हाळी अमावस्य से प्रारम्भ होता है। इस दिन प्रकृति के संकेतों के आधार पर अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की जाती है। इस बीच बाप में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रकृति के सुकाल के दिए गये विभिन्न प्रकार के संकेतों (पशु पक्षी की आवाज, हवा और हळ के सकेत, शगुन चिड़िया आदि) का स्वागत सुबह के उस शांत वातावरण में टँकौरो की टकराहट से मधुर ध्वनि की स्वर लहरियाँ निकाल कर पूरे गांवका चक्कर लगा कर करते थे। किन्तु समय के साथ अब यह परपंरा भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। अब केवल परम्परा को जीवित रखने के लिए चौधरियों का बास में सुबह कुछ समय के लिए शगुन के तौर पर ही टंकौर एक-दो दिन बजाया जाता है।